भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मौसम की पहली बारिश / देवमणि पांडेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=देवमणि पांडेय
 
|रचनाकार=देवमणि पांडेय
 
}}{{KKAnthologyVarsha}}
 
}}{{KKAnthologyVarsha}}
[[Category:गीत]]
+
{{KKCatGeet}}
 +
<poem>
 +
छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश
 +
गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश
  
छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश<br>
+
:जब तेरा आंचल लहराया
गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
+
:सारी दुनिया चहक उठी
 +
:बूंदों की सरगोशी तो
 +
:सोंधी मिट्टी महक उठी
  
:जब तेरा आंचल लहराया<br>
+
मस्ती बनकर दिल में छाई मौसम की पहली बारिश
:सारी दुनिया चहक उठी<br>
+
:बूंदों की सरगोशी तो<br>
+
:सोंधी मिट्टी महक उठी <br><br>
+
  
मस्ती बनकर दिल में छाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
+
:रौनक़ तुझसे बाज़ारों में
 +
:चहल पहल है गलियों में
 +
:फूलों में मुस्कान है तुझसे
 +
:और तबस्सुम कलियों में
  
:रौनक़ तुझसे बाज़ारों में<br>
+
झूम रही तुझसे पुरवाई मौसम की पहली बारिश
:चहल पहल है गलियों में<br>
+
:फूलों में मुस्कान है तुझसे<br>
+
:और तबस्सुम कलियों में <br><br>
+
  
झूम रही तुझसे पुरवाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
+
:पेड़-परिन्दें, सड़कें, राही
 +
:गर्मी से बेहाल थे कल
 +
:सबके ऊपर मेहरबान हैं
 +
:आज घटाएं और बादल
  
:पेड़-परिन्दें, सड़कें, राही<br>
+
राहत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश
:गर्मी से बेहाल थे कल<br>
+
:सबके ऊपर मेहरबान हैं<br>
+
:आज घटाएं और बादल<br><br>
+
  
राहत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
+
:आंगन के पानी में मिलकर
 +
:बच्चे नाव चलाते हैं
 +
:छत से पानी टपक रहा है
 +
:फिर भी सब मुस्काते हैं
  
:आंगन के पानी में मिलकर<br>
+
हरी भरी सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश
:बच्चे नाव चलाते हैं<br>
+
:छत से पानी टपक रहा है<br>
+
:फिर भी सब मुस्काते हैं <br><br>
+
  
हरी भरी सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
+
:सरक गया जब रात का घूंघट
 +
:चांद अचानक मुस्काया
 +
:उस पल हमदम तेरा चेहरा
 +
:याद बहुत हमको आया
  
:सरक गया जब रात का घूंघट<br>
+
कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश
:चांद अचानक मुस्काया<br>
+
:उस पल हमदम तेरा चेहरा<br>
+
:याद बहुत हमको आया<br><br>
+
 
+
कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
+

09:46, 19 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश
गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश

जब तेरा आंचल लहराया
सारी दुनिया चहक उठी
बूंदों की सरगोशी तो
सोंधी मिट्टी महक उठी

मस्ती बनकर दिल में छाई मौसम की पहली बारिश

रौनक़ तुझसे बाज़ारों में
चहल पहल है गलियों में
फूलों में मुस्कान है तुझसे
और तबस्सुम कलियों में

झूम रही तुझसे पुरवाई मौसम की पहली बारिश

पेड़-परिन्दें, सड़कें, राही
गर्मी से बेहाल थे कल
सबके ऊपर मेहरबान हैं
आज घटाएं और बादल

राहत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश

आंगन के पानी में मिलकर
बच्चे नाव चलाते हैं
छत से पानी टपक रहा है
फिर भी सब मुस्काते हैं

हरी भरी सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश

सरक गया जब रात का घूंघट
चांद अचानक मुस्काया
उस पल हमदम तेरा चेहरा
याद बहुत हमको आया

कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश