भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अभिनव कोमल सुन्दर पात / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} {{KKCatKavita}} | }} {{KKCatKavita}} | ||
{{KKAnthologyKrushn}} | {{KKAnthologyKrushn}} | ||
− | अभिनव कोमल सुन्दर पात। | + | <poem> |
− | सगर कानन पहिरल पट रात। | + | अभिनव कोमल सुन्दर पात। |
− | मलय-पवन डोलय बहु भांति | + | सगर कानन पहिरल पट रात। |
− | अपन कुसुम रसे अपनहि | + | मलय-पवन डोलय बहु भांति |
− | देखि-देखि माधव मन हुलसंत। | + | अपन कुसुम रसे अपनहि माति॥ |
− | बिरिन्दावन भेल बेकत | + | देखि-देखि माधव मन हुलसंत। |
− | कोकिल बोलाम साहर भार। | + | बिरिन्दावन भेल बेकत बसंत॥ |
− | मदन पाओल जग नव | + | कोकिल बोलाम साहर भार। |
− | पाइक मधुकर कर मधु पान। | + | मदन पाओल जग नव अधिकार॥ |
− | भमि-भमि जोहय मानिनि- | + | पाइक मधुकर कर मधु पान। |
− | दिसि-दिसि से भमि विपिन निहारि। | + | भमि-भमि जोहय मानिनि-मान॥ |
− | रास बुझावय मुदित मुरारि। | + | दिसि-दिसि से भमि विपिन निहारि। |
− | भनइ विद्यापति ई रस गाव। | + | रास बुझावय मुदित मुरारि। |
− | राधा-माधव अभिनव | + | भनइ विद्यापति ई रस गाव। |
+ | राधा-माधव अभिनव भाव॥ | ||
+ | </poem> |
07:04, 25 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
अभिनव कोमल सुन्दर पात।
सगर कानन पहिरल पट रात।
मलय-पवन डोलय बहु भांति
अपन कुसुम रसे अपनहि माति॥
देखि-देखि माधव मन हुलसंत।
बिरिन्दावन भेल बेकत बसंत॥
कोकिल बोलाम साहर भार।
मदन पाओल जग नव अधिकार॥
पाइक मधुकर कर मधु पान।
भमि-भमि जोहय मानिनि-मान॥
दिसि-दिसि से भमि विपिन निहारि।
रास बुझावय मुदित मुरारि।
भनइ विद्यापति ई रस गाव।
राधा-माधव अभिनव भाव॥