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'''भाग-7 उत्तर काण्ड प्रारंभ'''
  
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राम की कृपालुता
  
'''( छंद संख्या 4,  5)'''
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बालि-सो बीरू बिदारि सुकंठु, थप्यो, हरषे सुर बाजने बाजे।
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पल में दल्यो दासरथीं दसकंधरू, लंक बिभीषनु राज बिराजे।।
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राम सुभाउ सुनें ‘तुलसी’ हुलसै अलसी हम-से गलगाजे।
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कायर क्रूर कपूतनकी हद, तेउ गरीबनेवाज नेवाजे।1।
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बेद पढ़ैं बिधि, संभुसभीत पुजावन रावनसों नितु आवैं ।
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दानव देव दयावने दीन दुखी दिन दूरिहि तेें  सिरू नावैं।।
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ऐसेउ भाग भगे दसभाल तेें जो प्रभुता कबि-कोबिद गावैं।
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रामके बाम भएँ तेहि बामहि बाम सबै सुख संपति लावैं।2।
  
  
 
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08:58, 6 मई 2011 के समय का अवतरण



भाग-7 उत्तर काण्ड प्रारंभ

 राम की कृपालुता

(1)

बालि-सो बीरू बिदारि सुकंठु, थप्यो, हरषे सुर बाजने बाजे।
पल में दल्यो दासरथीं दसकंधरू, लंक बिभीषनु राज बिराजे।।

 राम सुभाउ सुनें ‘तुलसी’ हुलसै अलसी हम-से गलगाजे।
कायर क्रूर कपूतनकी हद, तेउ गरीबनेवाज नेवाजे।1।
 
(2)

बेद पढ़ैं बिधि, संभुसभीत पुजावन रावनसों नितु आवैं ।
दानव देव दयावने दीन दुखी दिन दूरिहि तेें सिरू नावैं।।

ऐसेउ भाग भगे दसभाल तेें जो प्रभुता कबि-कोबिद गावैं।
रामके बाम भएँ तेहि बामहि बाम सबै सुख संपति लावैं।2।