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"बूढ़ा किसान / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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21:15, 27 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
अब समाप्त हो चुका मेरा काम।
करना है बस आराम ही आराम।
अब न खुरपी, न हँसिया,
न पुरवट, न लढ़िया,
न रतरखाव, न हर, न हेंगा।
मेरी मिट्टी में जो कुछ निहित था,
उसे मैंने जोत-वो,
अश्रु स्वेद-रक्त से सींच निकाला,
काटा,
खलिहान का ख्लिहाल पाटा,
अब मौत क्या ले जाएगी मेरी मिट्टी से ठेंगा।
