भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मारना / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय प्रकाश }} आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता. आदमी म...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=उदय प्रकाश
 
|रचनाकार=उदय प्रकाश
 +
|संग्रह= सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
+
<poem>
 
आदमी  
 
आदमी  
 
 
मरने के बाद
 
मरने के बाद
 
 
कुछ नहीं सोचता.
 
कुछ नहीं सोचता.
 
  
 
आदमी  
 
आदमी  
 
 
मरने के बाद
 
मरने के बाद
 
 
कुछ नहीं बोलता.
 
कुछ नहीं बोलता.
 
  
 
कुछ नहीं सोचने
 
कुछ नहीं सोचने
 
 
और कुछ नहीं बोलने पर
 
और कुछ नहीं बोलने पर
 
 
आदमी  
 
आदमी  
 
 
मर जाता है.
 
मर जाता है.
 +
</poem>

23:36, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं सोचता.

आदमी
मरने के बाद
कुछ नहीं बोलता.

कुछ नहीं सोचने
और कुछ नहीं बोलने पर
आदमी
मर जाता है.