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"और दीवाने सभी चक्कर लगाकर रह गये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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बस हमीं गलियों में तेरी ज़िन्दगी भर रह गये | बस हमीं गलियों में तेरी ज़िन्दगी भर रह गये | ||
− | वह उठी आँधी कि | + | वह उठी आँधी कि मंज़िल का पता भी खो गया |
− | दिल में जो अरमान थे दिल में | + | दिल में जो अरमान थे दिल में तड़पकर रह गये |
फ़िक्र क्या अब तो नज़र आने लगा है उनका घर | फ़िक्र क्या अब तो नज़र आने लगा है उनका घर | ||
बीच में बस मील के दो-चार पत्थर रह गये | बीच में बस मील के दो-चार पत्थर रह गये | ||
− | वह नज़र थी और जो दिल को | + | वह नज़र थी और जो दिल को उड़ाकर ले गयी |
− | जब फिरी हम अपनी | + | जब फिरी हम अपनी किस्मत के बराबर रह गये |
कारवाँ गुजरे बहारों के भी सज-धजकर गुलाब! | कारवाँ गुजरे बहारों के भी सज-धजकर गुलाब! | ||
− | तुम हमेशा | + | तुम हमेशा बाँधते ही अपना बिस्तर रह गये |
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01:48, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
और दीवाने सभी चक्कर लगाकर रह गये
बस हमीं गलियों में तेरी ज़िन्दगी भर रह गये
वह उठी आँधी कि मंज़िल का पता भी खो गया
दिल में जो अरमान थे दिल में तड़पकर रह गये
फ़िक्र क्या अब तो नज़र आने लगा है उनका घर
बीच में बस मील के दो-चार पत्थर रह गये
वह नज़र थी और जो दिल को उड़ाकर ले गयी
जब फिरी हम अपनी किस्मत के बराबर रह गये
कारवाँ गुजरे बहारों के भी सज-धजकर गुलाब!
तुम हमेशा बाँधते ही अपना बिस्तर रह गये