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"फिर किसी प्यार की पुकार है आज / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मौत! बस इंतज़ार था तेरा
 
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अब किसी का न इंतज़ार है आज
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नींद मेरी थी प्यार का बचपन  
 
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मैं जगा तो जवान प्यार है आज
 
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कब उन आँखों से हैं झडे मोती  
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जब ये आँचल ही तार-तार है आज  
 
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00:04, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


फिर किसी प्यार की पुकार है आज
फिर कोई रूप बेक़रार है आज

मौत! बस इंतज़ार था तेरा
अब किसीका न इंतज़ार है आज

नींद मेरी थी प्यार का बचपन
मैं जगा तो जवान प्यार है आज

कब उन आँखों से हैं झड़े मोती
जब ये आँचल ही तार-तार है आज

एक तस्वीर थरथरायी हुई
यही दुनिया की यादगार है आज!

याद आती गुलाब की न उसे
और ही रंग में बहार है आज