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"चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए
 
चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए
आपने प्यार का खेल किया हो, हम तो बहुत बेजार हुए
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आपने प्यार का खेल किया हो, हम तो बहुत बेज़ार हुए
  
 
तीर तो थे तरकश में हज़ारों, चल भी गए कुछ चल न सके
 
तीर तो थे तरकश में हज़ारों, चल भी गए कुछ चल न सके
 
टूट के उन क़दमों पे गिरे कुछ, कुछ हैं दिलों के पार हुए
 
टूट के उन क़दमों पे गिरे कुछ, कुछ हैं दिलों के पार हुए
  
हम न रहे तो कौन भला ये शोख़ अदायें देखेगा!
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हम न रहे तो कौन भला ये शोख़ अदाएं देखेगा!
बाग़ की सब रंगत है हमीं से फूल भले ही हज़ार हुए
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बाग़ की सब रंगत है हमींसे फूल भले ही हज़ार हुए
  
एक हमीं को क्यों दुनिया ने दीवाने का नाम दिया
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एक हमींको क्यों दुनिया ने दीवाने का नाम दिया
 
जब कि हमारी हर धड़कन में आप भी हिस्सेदार हुए!
 
जब कि हमारी हर धड़कन में आप भी हिस्सेदार हुए!
  
अपनी पँखुरियों को छितराकर, आज गुलाब ये कहता था,
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अपनी पँखुरियों को छितराकर आज गुलाब ये कहता था,
'खूब जिन्हें खिलना हो खिले अब, हम तो हवा पे सवार हुए'
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'ख़ूब जिन्हें खिलना हो खिलें अब हम तो हवा पे सवार हुए'
 
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20:21, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण


चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए
आपने प्यार का खेल किया हो, हम तो बहुत बेज़ार हुए

तीर तो थे तरकश में हज़ारों, चल भी गए कुछ चल न सके
टूट के उन क़दमों पे गिरे कुछ, कुछ हैं दिलों के पार हुए

हम न रहे तो कौन भला ये शोख़ अदाएं देखेगा!
बाग़ की सब रंगत है हमींसे फूल भले ही हज़ार हुए

एक हमींको क्यों दुनिया ने दीवाने का नाम दिया
जब कि हमारी हर धड़कन में आप भी हिस्सेदार हुए!

अपनी पँखुरियों को छितराकर आज गुलाब ये कहता था,
'ख़ूब जिन्हें खिलना हो खिलें अब हम तो हवा पे सवार हुए'