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"मेरा घर-आँगन / भारतेन्दु मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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सिर्फ तेज़ाब भरा है | सिर्फ तेज़ाब भरा है | ||
रूप-रंग ये कैसा जीवन में उतरा है | रूप-रंग ये कैसा जीवन में उतरा है | ||
− | आज कँटीले | + | आज कँटीले झाड़ यहाँ अँकुराए हैं । |
पीली होकर घास | पीली होकर घास | ||
यहाँ हरियाती है | यहाँ हरियाती है | ||
− | बीमारों की संख्या | + | बीमारों की संख्या बढ़ती जाती है |
थोथे गर्जन और धुएँ के साए हैं । | थोथे गर्जन और धुएँ के साए हैं । | ||
अब तो सभी | अब तो सभी | ||
− | हवा | + | हवा में बातें करते हैं |
व्याकुल हुए किसान | व्याकुल हुए किसान | ||
भूख से मरते हैं | भूख से मरते हैं | ||
− | मोबाइल वो लिए हुए | + | मोबाइल वो लिए हुए मुँह बाए हैं । |
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22:19, 5 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
पूर्वमुखी मेरा घर-आँगन भीज रहा है
पच्छिम से कुछ ऐसे बादल आए हैं ।
इनमें पानी नहीं
सिर्फ तेज़ाब भरा है
रूप-रंग ये कैसा जीवन में उतरा है
आज कँटीले झाड़ यहाँ अँकुराए हैं ।
पीली होकर घास
यहाँ हरियाती है
बीमारों की संख्या बढ़ती जाती है
थोथे गर्जन और धुएँ के साए हैं ।
अब तो सभी
हवा में बातें करते हैं
व्याकुल हुए किसान
भूख से मरते हैं
मोबाइल वो लिए हुए मुँह बाए हैं ।