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"अनलिखा / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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अभी चली जाएगी शाम यह
 
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निकट अंधेरे के ।
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बुझते प्रकाश में--
 
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मोरों का बोलना
 
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मंडराना चिड़ियों का
 
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पत्तियों का हिलना
 
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सिमटना आकाश का ।
 
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साथ वही, देखो फिर
 
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अनलिखा !
 
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18:26, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

अभी चली जाएगी शाम यह
निकट अंधेरे के ।

बुझते प्रकाश में--
मोरों का बोलना
मंडराना चिड़ियों का
पत्तियों का हिलना

सिमटना आकाश का ।

साथ वही, देखो फिर
अनलिखा !