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"प्यार की बात न कर, प्यार को बस रहने दे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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छीन मत हमसे पुतलियों की थिरकती ख़ुशबू | छीन मत हमसे पुतलियों की थिरकती ख़ुशबू | ||
− | अपनी लट | + | अपनी लट खोलके छितरा दे, बहस रहने दे |
ज़िन्दगी ऐसे ही मस्ती में गुज़र जाने दे | ज़िन्दगी ऐसे ही मस्ती में गुज़र जाने दे |
01:40, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
प्यार की बात न कर प्यार को बस रहने दे
दिल में कुछ और तड़पने की हवस रहने दे
डाल फूलों की लचकती है हवा लगते ही
खेल आँखों का है आँखों में ही बस रहने दे
प्यार पर आँच न आ जाय, ठहर, दिल की तड़प!
यों न आँखों से लहू बनके बरस, रहने दे
चैन पायेंगे कभी और किसी दुनिया में
आज चलता नहीं तक़दीर पे बस, रहने दे
छीन मत हमसे पुतलियों की थिरकती ख़ुशबू
अपनी लट खोलके छितरा दे, बहस रहने दे
ज़िन्दगी ऐसे ही मस्ती में गुज़र जाने दे
तार ढीले ही सही, तार न कस, रहने दे
खींच लायें हैं उन्हें आपकी बाँहों में गुलाब
थोडा काँटों को भी इस बात का जस रहने दे