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कमल नयन परदेस हे भावनि<br />
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कमल नयन परदेस हे भावनि
राम लखन सिया वन वन के सिधारल, धय लेल तापसि के भेष, हे भावनि कमलनयन परदेस<br />
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राम लखन सिया वन वन के सिधारल,  
वन पग आसन वन पग भोजन, वन-वन रहति नरेश हे, भावनि कमल नयन परदेस<br />
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धय लेल तापसि के भेष,  
अवध अन्हार भेल एक रघुपति बिनु, जैसे वन लागत कुदेस, हे भावनि कमल नयन परदेस<br />
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हे भावनि कमलनयन परदेस
मातु कैशल्या करूणा करत हे, क्यों नहीं कहत उद्देस, हे भावनि कमल नयन परदेस<br />
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वन पग आसन वन पग भोजन,  
तुलसीदास प्रभु तुम्हरे दरस को जाही वन उगल दिनेस, हे भवनि कमल नयन परदेस<br />
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वन-वन रहति नरेश हे,  
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भावनि कमल नयन परदेस
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अवध अन्हार भेल एक रघुपति बिनु,  
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जैसे वन लागत कुदेस,  
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हे भावनि कमल नयन परदेस
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मातु कैशल्या करूणा करत हे,  
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क्यों नहीं कहत उद्देस,  
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हे भावनि कमल नयन परदेस
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तुलसीदास प्रभु तुम्हरे दरस को  
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जाही वन उगल दिनेस,  
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हे भवनि कमल नयन परदेस
  
 
  '''यह गीत श्रीमति रीता मिश्र की डायरी से'''
 
  '''यह गीत श्रीमति रीता मिश्र की डायरी से'''

11:30, 22 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कमल नयन परदेस हे भावनि
राम लखन सिया वन वन के सिधारल,
धय लेल तापसि के भेष,
हे भावनि कमलनयन परदेस
वन पग आसन वन पग भोजन,
वन-वन रहति नरेश हे,
भावनि कमल नयन परदेस
अवध अन्हार भेल एक रघुपति बिनु,
जैसे वन लागत कुदेस,
हे भावनि कमल नयन परदेस
मातु कैशल्या करूणा करत हे,
क्यों नहीं कहत उद्देस,
हे भावनि कमल नयन परदेस
तुलसीदास प्रभु तुम्हरे दरस को
जाही वन उगल दिनेस,
हे भवनि कमल नयन परदेस

 यह गीत श्रीमति रीता मिश्र की डायरी से