भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सदस्य:Suraj rajwanshi" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: निदा फाजली साहब के दोहे मैं रोया परदेस में भीगा मान का प्यार ! दुः…)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
निदा फाजली साहब के दोहे
 
निदा फाजली साहब के दोहे
  
मैं रोया परदेस में भीगा मान का प्यार !
+
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार !
 
दुःख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार !!
 
दुःख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार !!
  
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
आँखों भर आकाश है बाँहों भर संसार !!
 
आँखों भर आकाश है बाँहों भर संसार !!
  
सबकी पूजा एक सी अलग हर रीत !
+
सबकी पूजा एक सी अलग-अलग हर रीत !
 
मस्जिद जाये मौलवी कोयल गए गीत !!
 
मस्जिद जाये मौलवी कोयल गए गीत !!

19:26, 7 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

निदा फाजली साहब के दोहे

मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार ! दुःख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार !!

छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार ! आँखों भर आकाश है बाँहों भर संसार !!

सबकी पूजा एक सी अलग-अलग हर रीत ! मस्जिद जाये मौलवी कोयल गए गीत !!