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"लोहा और आदमी / विमलेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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11:00, 11 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण
वह पिघलता है
और ढलता है चाकू में
तलवार में बन्दूक में सुई में
और छेनी-हथौड़े में भी
उसी से कुछ लोग लड़ते हैं भूख से
भूखे लोगों के ख़िलाफ़
ख़ूनी लड़ाइयाँ भी उसी से लड़ी जाती हैं
कई बार फ़र्क़ करना मुश्किल होता है
लोहे और आदमी में ।