भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक रोता हुआ मुँह / येहूदा आमिखाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKAnooditRachna | {{KKAnooditRachna | ||
|रचनाकार=येहूदा आमिखाई | |रचनाकार=येहूदा आमिखाई | ||
− | |संग्रह=मेरी वसीयत ढँकी है ढेर सारे पैबन्दों से / | + | |संग्रह=मेरी वसीयत ढँकी है ढेर सारे पैबन्दों से / येहूदा आमिखाई |
}} | }} | ||
[[Category:यहूदी भाषा]] | [[Category:यहूदी भाषा]] | ||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
जब तक कि रोता हुआ मुँह हार मानकर हँसने नहीं लग गया, | जब तक कि रोता हुआ मुँह हार मानकर हँसने नहीं लग गया, | ||
जब तक कि हँसता हुआ मुँह हार मानकर रोने नहीं लग गया। | जब तक कि हँसता हुआ मुँह हार मानकर रोने नहीं लग गया। | ||
+ | |||
+ | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल''' | ||
</poem> | </poem> |
22:58, 4 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
|
एक रोता हुआ मुँह और एक हँसता हुआ मुँह
ख़ामोश तमाशबीनों के सामने विकट लड़ाई करते हुए।
दोनों के हाथ में आ जाते हैं मुँह, वे नोचते-खसोटते हैं
एक-दूसरे का मुँह
टकरा-टकरा कर टुकड़े-टुकड़े और लहूलुहान हो जाते हैं वे।
जब तक कि रोता हुआ मुँह हार मानकर हँसने नहीं लग गया,
जब तक कि हँसता हुआ मुँह हार मानकर रोने नहीं लग गया।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल