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विश्वास अपनी पीढ़ी के / राजेश श्रीवास्तव
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गल चुके हैं पाये बुजुर्गों से विरासत में मिली सीढ़ी के
अब हमें ही संभालने हैं आखिर
विश्वासस
विश्वास
अपनी पीढ़ी के
वक्त से लड़ना है दोस्त्
पत्थमरों
पत्थरों
पर भी सोना होगा।
कुछ इस पार, कुछ उस पार और कुछ बीच में खड़ी हैं दीवार
Lalit Kumar
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