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"गले का हार वंदे मातरम / गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा'" के अवतरणों में अंतर

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अंग्रेजी हुकूमत की यह सरकार हमारे बन्देमातरम को कभी भी नहीं छीन सकती है।  
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अंग्रेजी हुकूमत की यह सरकार हमारे बन्देमातरम को  
यह बन्देमातरम तो हम गरीबों के गले का हार है। हम तो वही कर रहे हैं जो इस वक्त पर हमें करना चाहिए। आज सारा संसार बन्देमातरम का उद्घोष कर रहा है। दुर्जनों (अंग्रेजी हुकूमत )का मन उस समय जल कर भस्म हो जाता है जब उनके कान में बन्देमातरम की झंकार पड़ जाती है। देशभक्तो !तुम जेल में चक्की पीसते और भूख से मरते समय पर भी इसी बन्देमातरम को प्यार करना।मौत के मुहाने पर खडे़ देशभक्त कह रहे हैं बन्देमातरम की तलवार इनकी छाती में घोंप देंगे। देशभक्तों की नाड़ी देखकर वैद्य भी अब सिर हिलाकर कहने लगे हैं कि इन्हें बन्देमातरम की बीमारी जकड़ चुकी है। इन देशभक्तों के लिये तो यह बन्देमातरम, होली ,दिवाली व ईद के त्यौहार से भी सौ गुना ज्यादा प्यारा हो गया है।
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कभी भी नहीं छीन सकती है।  
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यह बन्देमातरम तो हम गरीबों के गले का हार है।  
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हम तो वही कर रहे हैं जो इस वक्त पर हमें करना चाहिए।  
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जब उनके कान में बन्देमातरम की झंकार पड़ जाती है।
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देशभक्तो !तुम जेल में चक्की पीसते और भूख से मरते समय
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पर भी इसी बन्देमातरम को प्यार करना।
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बन्देमातरम की तलवार इनकी छाती में घोंप देंगे।  
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देशभक्तों की नाड़ी देखकर वैद्य भी अब सिर हिलाकर कहने लगे हैं कि  
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सौ गुना ज्यादा प्यारा हो गया है।
 
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21:44, 30 मई 2012 के समय का अवतरण

अंग्रेजी हुकूमत की यह सरकार हमारे बन्देमातरम को
कभी भी नहीं छीन सकती है।
यह बन्देमातरम तो हम गरीबों के गले का हार है।
हम तो वही कर रहे हैं जो इस वक्त पर हमें करना चाहिए।
आज सारा संसार बन्देमातरम का उद्घोष कर रहा है।
 दुर्जनों (अंग्रेजी हुकूमत )का मन उस समय जल कर भस्म हो जाता है
 जब उनके कान में बन्देमातरम की झंकार पड़ जाती है।
 देशभक्तो !तुम जेल में चक्की पीसते और भूख से मरते समय
 पर भी इसी बन्देमातरम को प्यार करना।
मौत के मुहाने पर खडे़ देशभक्त कह रहे हैं
बन्देमातरम की तलवार इनकी छाती में घोंप देंगे।
देशभक्तों की नाड़ी देखकर वैद्य भी अब सिर हिलाकर कहने लगे हैं कि
इन्हें बन्देमातरम की बीमारी जकड़ चुकी है।
इन देशभक्तों के लिये तो यह बन्देमातरम,
 होली ,दिवाली व ईद के त्यौहार से भी
सौ गुना ज्यादा प्यारा हो गया है।