भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दंभ की आग ( हाइकु) /रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Ramadwivedi (चर्चा | योगदान) ('१- क्या -क्या जंजाल<br> इक्कसवीं सदी में<br> सब बेहाल |<br><br> ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | १- क्या -क्या जंजाल | + | {{KKGlobal}} |
− | इक्कसवीं सदी में | + | {{KKRachna |
− | सब बेहाल | | + | |रचनाकार=रमा द्विवेदी |
+ | |संग्रह= | ||
+ | }}{{KKCatHaiku}} | ||
+ | |||
+ | <poem> | ||
+ | १- क्या -क्या जंजाल | ||
+ | इक्कसवीं सदी में | ||
+ | सब बेहाल | | ||
− | २- दंभ की आग | + | २- दंभ की आग |
− | जल रहा आदमी | + | जल रहा आदमी |
− | बुझे तो कैसे? | + | बुझे तो कैसे? |
− | ३- जीवन -यात्रा | + | ३- जीवन -यात्रा |
− | फूल मिलें या काँटे | + | फूल मिलें या काँटे |
− | फिर भी चलें| | + | फिर भी चलें| |
− | ४- शीत-लहर | + | ४- शीत-लहर |
− | प्रकृति का कहर | + | प्रकृति का कहर |
− | मौत -पैगाम |< | + | मौत -पैगाम | |
+ | </poem> |
11:05, 22 जून 2012 के समय का अवतरण
१- क्या -क्या जंजाल
इक्कसवीं सदी में
सब बेहाल |
२- दंभ की आग
जल रहा आदमी
बुझे तो कैसे?
३- जीवन -यात्रा
फूल मिलें या काँटे
फिर भी चलें|
४- शीत-लहर
प्रकृति का कहर
मौत -पैगाम |