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"दंभ की आग ( हाइकु) /रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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जल रहा आदमी<br>
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जल रहा आदमी
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फूल मिलें या काँटे <br>
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४- शीत-लहर<br>
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11:05, 22 जून 2012 के समय का अवतरण

    
१- क्या -क्या जंजाल
इक्कसवीं सदी में
सब बेहाल |

२- दंभ की आग
जल रहा आदमी
बुझे तो कैसे?

३- जीवन -यात्रा
फूल मिलें या काँटे
फिर भी चलें|

४- शीत-लहर
प्रकृति का कहर
मौत -पैगाम |