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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div>
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<div style="font-size:15px;">'''शीर्षक :पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना '''रचनाकार:''' [[आनंद बख़्शी]] </div>
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(21 जुलाई को आनंद बख़्शी का जन्मदिवस होता है)
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पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
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अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
पढ़-लिख के बड़ा हो के तू एक किताब लिखना
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अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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हाथों से जिनका दामन एक दिन है छूट जाना
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
तारों के डूबते ही जिनको है टूट जाना
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
ये आँखें देखती हैं क्यूँ ऐसे ख़्वाब लिखना
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अपरिचित पास आओ
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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मैंने तो प्यार को ही मज़हब बना लिया है
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
इस दिल को दिल की दुनिया का रब बना लिया है
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
ईमान हो गया क्या मेरा ख़राब लिखना
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
कहते हैं लोग उनकी रसमों को मैने तोड़ा
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सबमें अपनेपन की माया
ये फ़ैसला भी मैने तेरी समझ पे छोड़ा
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अपने पन में जीवन आया
मेरी ख़ताओं का तू पूरा हिसाब लिखना
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया