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"प्रदुषण / लालित्य ललित" के अवतरणों में अंतर
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− | + | भला हो | |
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− | + | जो मुंह अंधेरे निकलता है | |
− | + | साईकिल पर बोरी बांधे | |
− | + | कई-कई पार्क जाता है | |
− | + | सैर करने नहीं | |
− | + | बोतलें, पन्नियां, थैलियां | |
− | + | इकट्ठी करने | |
− | + | मैं पूछता हूं - | |
− | + | कभी-कभी | |
− | + | बिरजू से | |
− | + | बिरजू कितना कमा लेते हो ? | |
− | + | - मालिक ख़र्चा निकल जाता है | |
− | + | और बिरजू अपने काम में | |
− | + | लग जाता है | |
− | + | यह नौजवान बिरजू | |
− | + | अगर किसी दिन | |
− | + | सुबह पार्क ना जाए | |
− | + | तो गंदगी स्वागत करती - दिखेगी | |
− | + | बिरजू आने में पक्का है | |
− | + | मैं नंगे पांव नहीं घूमता | |
− | + | ना जाने | |
− | + | कब कौन-सा टुकड़ा | |
− | + | मेरा स्वागत कर बैठे | |
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17:23, 23 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
आज आप शुद्ध हवा
कहां पायेंगे ?
पार्क में जायेंगे
नंगे पैर टहलेंगे तो
ख़ैर नहीं आपके पैरों की
वहां मिलेगी
रात को खाली की गई
बीयर की बोतलें
अनगिनत पन्नियां
नमकीन की मुड़ी-तुड़ी -
थैलियां, ढक्कन
अधजली सिगरेट के टुकड़े
भला हो
बिरजू कबाड़ी का
जो मुंह अंधेरे निकलता है
साईकिल पर बोरी बांधे
कई-कई पार्क जाता है
सैर करने नहीं
बोतलें, पन्नियां, थैलियां
इकट्ठी करने
मैं पूछता हूं -
कभी-कभी
बिरजू से
बिरजू कितना कमा लेते हो ?
- मालिक ख़र्चा निकल जाता है
और बिरजू अपने काम में
लग जाता है
यह नौजवान बिरजू
अगर किसी दिन
सुबह पार्क ना जाए
तो गंदगी स्वागत करती - दिखेगी
बिरजू आने में पक्का है
मैं नंगे पांव नहीं घूमता
ना जाने
कब कौन-सा टुकड़ा
मेरा स्वागत कर बैठे