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जोरिए तो तब जब जोरिबे को रीति जाने, | जोरिए तो तब जब जोरिबे को रीति जाने, | ||
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तुक छंद अरथ अनूप जामे लहिए . | तुक छंद अरथ अनूप जामे लहिए . | ||
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गाईए तो तब जब गाईबे को कंठ होय , | गाईए तो तब जब गाईबे को कंठ होय , | ||
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श्रवन के सुनितहिं मनै जमे गहिए . | श्रवन के सुनितहिं मनै जमे गहिए . | ||
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तुकभंग, छंदभंग, अरथ मिलै न कछु, | तुकभंग, छंदभंग, अरथ मिलै न कछु, | ||
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सुंदर कहत ऐसी बानी नहिं कहिए . | सुंदर कहत ऐसी बानी नहिं कहिए . |
17:26, 11 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण
बोलिए तौ तब जब बोलिबे की बुद्धि होय,
ना तौ मुख मौन गहि चुप होय रहिए.
जोरिए तो तब जब जोरिबे को रीति जाने,
तुक छंद अरथ अनूप जामे लहिए .
गाईए तो तब जब गाईबे को कंठ होय ,
श्रवन के सुनितहिं मनै जमे गहिए .
तुकभंग, छंदभंग, अरथ मिलै न कछु,
सुंदर कहत ऐसी बानी नहिं कहिए .