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"आयु बनी प्रस्तावना / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | + | *[[मेरे मन में कोई राधा बेसुध तान लिए बैठी है / गुलाब खंडेलवाल]] | |
+ | *[[मेरा वश क्या टूट रही अभिव्यक्ति में! / गुलाब खंडेलवाल]] |
09:34, 20 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण
आयु बनी प्रस्तावना
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | गीत |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- इतनी उलझन क्यों आनन पर, मुझको आधा ही मन दे दो / गुलाब खंडेलवाल
- ऐसी लगन लगी प्राणों में, पीड़ा ही गलहार बन गयी / गुलाब खंडेलवाल
- जी करता है आँखें मूँदूँ / गुलाब खंडेलवाल
- तुमने जो कुछ दिया प्राण के साथ सहेज सुहावना / गुलाब खंडेलवाल
- मेरे मन में कोई राधा बेसुध तान लिए बैठी है / गुलाब खंडेलवाल
- मेरा वश क्या टूट रही अभिव्यक्ति में! / गुलाब खंडेलवाल