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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="font-size:15px;"> कवि:[[साहिर लुधियानवी| साहिर लुधियानवी]] </div>
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हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं है,
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एक तू ही नहीं है
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नज़रें भी वही और नज़ारे भी वही हैं
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ख़ामोश फ़ज़ाओं के इशारे भी वही हैं
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
कहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं है
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हर अश्क में खोई हुई ख़ुशियों की झलक है
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
हर साँस में बीती हुई घड़ियों की कसक है
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
तू चाहे कहीं भी हो, तेरा दर्द यहीं है
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अपरिचित पास आओ
  
हसरत नहीं, अरमान नहीं, आस नहीं है
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
यादों के सिवा कुछ भी मेरे पास नहीं है
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
यादें भी रहें या न रहें किसको यक़ीं है
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया