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"हमारा देश / आरसी प्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

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हमारा देश भारत है नदी गोदावरी गंगा.
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हमारा देश भारत है नदी गोदावरी-गंगा,
लिखा भूगोल पर युग ने हमारा चित्र बहुरंगा.
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लिखा भूगोल पर युग ने हमारा चित्र बहुरंगा।
  
हमारी देश की माटी अनोखी मूर्ति वह गढ़ती.
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हमारे देश की माटी अनोखी मूर्ति वह गढ़ती,
धरा क्या स्वर्ग से भी जो गगन सोपान पर चढ़ती.
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धरा क्या स्वर्ग से भी जो गगन सोपान पर चढ़ती।
  
हमारे देश का पानी हमें वह शक्ति है देता.
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हमारे देश का पानी हमें वह शक्ति है देता,
भरत सा एक बालक भी पकड़ वनराज को लेता.
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भरत सा एक बालक भी पकड़ वनराज को लेता।
 
   
 
   
जहां हर सांस में फूले सुमन मन में महकते हैं.
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जहाँ हर साँस में फूले सुमन मन में महकते हैं,
जहां ऋतुराज के पंछी मधुर स्वर में चहकते हैं.
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जहां ऋतुराज के पंछी मधुर स्वर में चहकते हैं।
  
हमारी देश की धरती बनी है अन्नपूर्णा सी.
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हमारे देश की धरती बनी है अन्नपूर्णा सी,
हमें अभिमान है इसका कि हम इस देश के वासी.
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हमें अभिमान है इसका कि हम इस देश के वासी।
  
जहां हर सीप में मोती जवाहर लाल पलता है.
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जहाँ हर सीप में मोती जवाहर लाल पलता है,
जहां हर खेत सोना कोयला हीरा उगलता है.
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जहाँ हर खेत सोना कोयला हीरा उगलता है।
  
सिकंदर विश्व विजयी की जहां तलवार टूटी थी.
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सिकंदर विश्व विजयी की जहाँ तलवार टूटी थी,
जहां चंगेज की खूनी रंगी तकदीर फूटी थी.
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जहाँ चंगेज की खूनी रंगी तकदीर फूटी थी।
  
यही वह देश है जिसकी सदा हम जय मनाते हैं.
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यही वह देश है जिसकी सदा हम जय मनाते हैं,
समर्पण प्राण करते हैं खुशी के गीत गाते हैं.
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उदय का फिर दिवस आया, अंधेरा दूर भागा है.
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उदय का फिर दिवस आया, अंधेरा दूर भागा है,
इसी मधुरात में सोकर हमारा देश जागा है.
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इसी मधुरात में सोकर हमारा देश जागा है।
  
नया इतिहास लिखता है हमारा देश तन्मय हो.
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नया इतिहास लिखता है हमारा देश तन्मय हो,
नए विज्ञान के युग में हमारे देश की जय हो.
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नए विज्ञान के युग में हमारे देश की जय हो।
  
अखंडित एकता बोले हमारे देश की भाषा.
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अखंडित एकता बोले हमारे देश की भाषा,
हमारी भारती से है हमें यह एक अभिलाषा.
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हमारी भारती से है हमें यह एक अभिलाषा।
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16:20, 3 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण

हमारा देश भारत है नदी गोदावरी-गंगा,
लिखा भूगोल पर युग ने हमारा चित्र बहुरंगा।

हमारे देश की माटी अनोखी मूर्ति वह गढ़ती,
धरा क्या स्वर्ग से भी जो गगन सोपान पर चढ़ती।

हमारे देश का पानी हमें वह शक्ति है देता,
भरत सा एक बालक भी पकड़ वनराज को लेता।
 
जहाँ हर साँस में फूले सुमन मन में महकते हैं,
जहां ऋतुराज के पंछी मधुर स्वर में चहकते हैं।

हमारे देश की धरती बनी है अन्नपूर्णा सी,
हमें अभिमान है इसका कि हम इस देश के वासी।

जहाँ हर सीप में मोती जवाहर लाल पलता है,
जहाँ हर खेत सोना कोयला हीरा उगलता है।

सिकंदर विश्व विजयी की जहाँ तलवार टूटी थी,
जहाँ चंगेज की खूनी रंगी तकदीर फूटी थी।

यही वह देश है जिसकी सदा हम जय मनाते हैं,
समर्पण प्राण करते हैं खुशी के गीत गाते हैं।

उदय का फिर दिवस आया, अंधेरा दूर भागा है,
इसी मधुरात में सोकर हमारा देश जागा है।

नया इतिहास लिखता है हमारा देश तन्मय हो,
नए विज्ञान के युग में हमारे देश की जय हो।

अखंडित एकता बोले हमारे देश की भाषा,
हमारी भारती से है हमें यह एक अभिलाषा।