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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">आज करवा चौथ</div>
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<div style="font-size:15px;"> कवि:[[जयकृष्ण राय तुषार| जयकृष्ण राय तुषार]] </div>
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</td>
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</tr>
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</table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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आज करवा चौथ
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का दिन है
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आज हम तुमको सँवारेंगे ।
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देख लेना
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तुम गगन का चाँद
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मगर हम तुमको निहारेंगे ।
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पहनकर
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<div style="text-align: center;">
काँजीवरम का सिल्क
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
हाथ में मेंहदी रचा लेना,
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अप्सराओं की
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तरह ये रूप
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आज फ़ुरसत में सजा लेना,
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धूल में
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लिपटे हुए ये पाँव
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आज नदियों में पखारेंगे ।
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हम तुम्हारा
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
साथ देंगे उम्रभर
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
हमें भी मझधार में मत छोड़ना,
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अपरिचित पास आओ
आज चलनी में
+
कनखियों देखना
+
और फिर ये व्रत अनोखा तोड़ना,
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है भले
+
पूजा तुम्हारी ये
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आरती हम भी उतारेंगे ।
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ये सुहागिन
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
औरतों का व्रत
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
निर्जला, पति की उमर की कामना
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
थाल पूजा की
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
सजा कर कर रहीं
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
पार्वती शिव की सघन आराधना,
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
आज इनके
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पुण्य के फल से
+
हम मृत्यु से भी नहीं हारेंगे ।
+
  
</pre></center></div>
+
सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया