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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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शब्द किस तरह
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कविता बनते हैं
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इसे देखो
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अक्षरों के बीच गिरे हुए
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आदमी को पढ़ो
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क्या तुमने सुना कि यह
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लोहे की आवाज़ है या
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मिट्टी में गिरे हुए ख़ून
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का रंग ।
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लोहे का स्वाद
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<div style="text-align: center;">
लोहार से मत पूछो
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
घोड़े से पूछो
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जिसके मुँह में लगाम है ।
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया