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धार
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रचनाकार: [[अरुण कमल]]
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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कौन बचा है जिसके आगे
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
इन हाथों को नहीं पसारा
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अपरिचित पास आओ
  
यह अनाज जो बदल रक्त में
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
टहल रहा है तन के कोने-कोने
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
यह कमीज़ जो ढाल बनी है
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
बारिश सरदी लू में
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
सब उधार का, माँगा चाहा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
नमक-तेल, हींग-हल्दी तक
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
सब कर्जे का
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यह शरीर भी उनका बंधक
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अपना क्या है इस जीवन में
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सबमें अपनेपन की माया
सब तो लिया उधार
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अपने पन में जीवन आया
सारा लोहा उन लोगों का
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अपनी केवल धार ।
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया