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"मौन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर

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उत्थान-पतनाघात से
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रह जाए चुप,निर्द्वन्द ।
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11:42, 15 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

बैठ लें कुछ देर,
आओ,एक पथ के पथिक-से
प्रिय, अंत और अनन्त के,
तम-गहन-जीवन घेर।
मौन मधु हो जाए
भाषा मूकता की आड़ में,
मन सरलता की बाढ़ में,
जल-बिन्दु सा बह जाए।
सरल अति स्वच्छ्न्द
जीवन, प्रात के लघुपात से,
उत्थान-पतनाघात से
रह जाए चुप,निर्द्वन्द ।