भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भजो रे भैया राम गोविंद हरी / कबीर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कबीर }} भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।<br> राम गोविंद हरी भज...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=कबीर
 
|रचनाकार=कबीर
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatPad}}
भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।<br>
+
{{KKAnthologyRam}}
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥<br><br>
+
<poem>
 
+
भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥<br>
+
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥<br>
+
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥<br><br>
+
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
 +
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥

16:26, 7 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥