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"यह जो प्रेम है / दिनकर कुमार" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=दिनकर कुमार | |रचनाकार=दिनकर कुमार | ||
− | |संग्रह=कौन कहता है ढलती नहीं ग़म की रात | + | |संग्रह=उसका रिश्ता ज़रूर माओ से होगा / दिनकर कुमार ; कौन कहता है ढलती नहीं ग़म की रात / दिनकर कुमार |
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शाम भी घायल हुई थी | शाम भी घायल हुई थी | ||
बाँसुरीवादक के | बाँसुरीवादक के |
12:15, 21 मार्च 2013 के समय का अवतरण
शाम भी घायल हुई थी
बाँसुरीवादक के
विषाद से
बादलों ने रोकर जाहिर किया
अपना मातम
किसी की राह देख रही थी
रात
जिसे बिछाकर सो गया था
भिखारी
धुएँ से सराबोर आबादी
के बीच भी
बचा हुआ था जीवन
हर मोर्चे पर चोट खाने के
बावजूद भी
आदमी भूल नहीं पाया था
प्रेम ।