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− | {{KKGlobal}}
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| {{KKRachna | | {{KKRachna |
| |रचनाकार=अशोक चक्रधर | | |रचनाकार=अशोक चक्रधर |
− | |संग्रह=तमाशा / अशोक चक्रधर
| + | }} |
− | }} | + | |
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− | अब मैं आपको कोई कविता नहीं सुनाता<BR>
| + | {{KKPustak |
− | एक तमाशा दिखाता हूँ,<BR>
| + | |चित्र=tamasha.jpg |
− | और आपके सामने एक मजमा लगाता हूँ।<BR>
| + | |नाम=तमाशा |
− | ये तमाशा कविता से बहूत दूर है,<BR>
| + | |रचनाकार=[[अशोक चक्रधर]] |
− | दिखाऊँ साब, मंजूर है?<BR><BR>
| + | |प्रकाशक= |
| + | |वर्ष= -- |
| + | |भाषा=हिन्दी-- |
| + | |विषय= - |
| + | |शैली=-- |
| + | |पृष्ठ=160 |
| + | |ISBN=-- |
| + | |विविध=-- |
| + | }} |
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− | कविता सुनने वालो<BR> | + | * [[तमाशा (कविता) / अशोक चक्रधर]] |
− | ये मत कहना कि कवि होकर<BR>
| + | * [[गरीबदास का शून्य / अशोक चक्रधर]] |
− | मजमा लगा रहा है,<BR>
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− | और कविता सुनाने के बजाय<BR>
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− | यों ही बहला रहा है।<BR>
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− | दरअसल, एक तो पापी पेट का सवाल है<BR>
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− | और दूसरे, देश का दोस्तो ये हाल है<BR>
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− | कि कवि अब फिर से एक बार<BR>
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− | मजमा लगाने को मजबूर है,<BR>
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− | तो दिखाऊँ साब, मंजूर है?<BR>
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− | बोलिए जनाब बोलिए हुजूर!<BR>
| + | |
− | तमाशा देखना मंजूर?<BR>
| + | |
− | थैंक्यू, धन्यवाद, शुक्रिया,<BR>
| + | |
− | आपने 'हाँ' कही बहुत अच्छा किया।<BR>
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− | आप अच्छे लोग हैं बहुत अच्छे श्रोता हैं<BR>
| + | |
− | और बाइ-द-वे तमाशबीन भी खूब हैं,<BR>
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− | देखिए मेरे हाथ में ये तीन टैस्ट-ट्यूब हैं।<BR><BR>
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− | | + | |
− | कहाँ हैं?<BR>
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− | ग़ौर से देखिए ध्यान से देखिए,<BR>
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− | मन की आँखों से कल्पना की पाँखों से देखिए।<BR>
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− | देखिए यहाँ हैं।<BR>
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− | क्या कहा, उँगलियाँ हैं?<BR>
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− | नहीं - नहीं टैस्ट-ट्यूब हैं<BR>
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− | इन्हें उँगलियाँ मत कहिए,<BR>
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− | तमाशा देखते वक्त दरियादिल रहिए।<BR>
| + | |
− | आप मेरे श्रोता हैं, रहनुमा हैं, सुहाग हैं<BR>
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− | मेरे महबूब हैं,<BR>
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− | अब बताइए ये क्या हैं?<BR>
| + | |
− | तीन टैस्ट-ट्यूब हैं।<BR>
| + | |
− | वैरी गुड, थैंक्यू, धन्यवाद, शुक्रिया,<BR>
| + | |
− | आपने उँगलियों को टैस्ट-ट्यूब बताया<BR>
| + | |
− | बहुत अच्छा किया<BR>
| + | |
− | अब बताइए इनमें क्या है?<BR>
| + | |
− | बताइए-बताइए इनमें क्या है?<BR>
| + | |
− | अरे, आपको क्या हो गया है?<BR>
| + | |
− | टैस्ट-ट्यूब दिखती है<BR>
| + | |
− | अंदर का माल नहीं दिखता है,<BR>
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− | आपके भोलेपन में भी अधिकता है।<BR><BR>
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− | | + | |
− | ख़ैर छोड़िए<BR>
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− | ए भाईसाहब!<BR>
| + | |
− | अपना ध्यान इधर मोड़िए।<BR>
| + | |
− | चलिए, मुद्दे पर आता हूँ,<BR>
| + | |
− | मैं ही बताता हूँ, इनमें खून है!<BR>
| + | |
− | हाँ भाईसाहब, हाँ बिरादर,<BR>
| + | |
− | हाँ माई बाप हाँ गॉड फादर! इनमें खून हैं।<BR>
| + | |
− | पहले में हिंदू का<BR>
| + | |
− | दूसरे में मुसलमान का<BR>
| + | |
− | तीसरे में सिख का खून है,<BR>
| + | |
− | हिंदू मुसलमान में तो आजकल<BR>
| + | |
− | बड़ा ही जुनून हैं।<BR>
| + | |
− | आप में से जो भी इनका फ़र्क बताएगा<BR>
| + | |
− | मेरा आज का पारिश्रमिक ले जाएगा।<BR>
| + | |
− | हर किसी को बोलने की आज़ादी है,<BR>
| + | |
− | खरा खेल, फ़र्क बताएगा<BR>
| + | |
− | न जालसाज़ी है न धोखा है,<BR>
| + | |
− | ले जाइए पूरा पैसा ले जाइए जनाब, मौका है।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | फ़र्क बताइए,<BR>
| + | |
− | तीनों में अंतर क्या है अपना तर्क बताइए<BR>
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− | और एक कवि का पारिश्रमिक ले जाइए।<BR>
| + | |
− | आप बताइए नीली कमीज़ वाले साब,<BR>
| + | |
− | सफ़ेद कुर्ते वाले जनाब।<BR>
| + | |
− | आप बताइए? जिनकी इतनी बड़ी दाढ़ी है।<BR>
| + | |
− | आप बताइए बहन जी<BR>
| + | |
− | जिनकी पीली साड़ी है।<BR>
| + | |
− | संचालक जी आप बताइए<BR>
| + | |
− | आपके भरोसे हमारी गाड़ी है।<BR>
| + | |
− | इनके मुँह पर नहीं पेट में दाढ़ी है।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | ओ श्रीमान जी, आपका ध्यान किधर है,<BR>
| + | |
− | इधर देखिए तमाशे वाला तो इधर है।<BR><BR>
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− | | + | |
− | हाँ, तो दोस्तो!<BR>
| + | |
− | फ़र्क है, ज़रूर इनमें फ़र्क है,<BR>
| + | |
− | तभी तो समाज का बेड़ागर्क है।<BR>
| + | |
− | रगों में शांत नहीं रहता है,<BR>
| + | |
− | उबलता है, धधकता है, फूट पड़ता है<BR>
| + | |
− | सड़कों पर बहता है।<BR>
| + | |
− | फ़र्क नहीं होता तो दंगे-फ़साद नहीं होते,<BR>
| + | |
− | फ़र्क नहीं होता तो खून-ख़राबों के बाद<BR>
| + | |
− | लोग नहीं रोते।<BR>
| + | |
− | अंतर नहीं होता तो ग़र्म हवाएँ नहीं होतीं,<BR>
| + | |
− | अंतर नहीं होता तो अचानक विधवाएँ नहीं होतीं।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | देश में चारों तरफ़<BR>
| + | |
− | हत्याओं का मानसून है,<BR>
| + | |
− | ओलों की जगह हड्डियाँ हैं<BR>
| + | |
− | पानी की जगह खून है।<BR>
| + | |
− | फ़साद करने वाले ही बताएँ<BR>
| + | |
− | अगर उनमें थोड़ी-सी हया है,<BR>
| + | |
− | क्या उन्हें साँप सूँघ गया है?<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | और ये तो मैंने आपको<BR>
| + | |
− | पहले ही बता दिया<BR>
| + | |
− | कि पहली में हिंदू का<BR>
| + | |
− | दूसरी में मुसलमान का<BR>
| + | |
− | तीसरी में सिख का खून है।<BR>
| + | |
− | अगर उल्टा बता देता तो कैसे पता लगाते,<BR>
| + | |
− | कौन-सा किसका है, कैसे बताते?<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | और दोस्तो, डर मत जाना<BR>
| + | |
− | अगर डरा दूँ, मान लो मैं इन्हें<BR>
| + | |
− | किसी मंदिर, मस्जिद<BR>
| + | |
− | या गुरुद्वारे के सामने गिरा दूँ,<BR>
| + | |
− | तो है कोई माई का लाल<BR>
| + | |
− | जो फ़र्क बता दे,<BR>
| + | |
− | है कोई पंडित, है कोई मुल्ला, है कोई ग्रंथी<BR>
| + | |
− | जो ग्रंथियाँ सुलझा दे?<BR>
| + | |
− | फ़र्श पर बिखरा पड़ा है, पहचान बताइए,<BR>
| + | |
− | कौन मलखान, कौन सिंह, कौन खान बताइए।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | अभी फोरेन्सिक विभाग वाले आएँगे,<BR>
| + | |
− | जमे हुए खून को नाखून से हटाएँगे।<BR>
| + | |
− | नमूने ले जाएँगे<BR>
| + | |
− | इसका ग्रुप 'ओ', इसका 'बी'<BR>
| + | |
− | और उसका 'बी प्लस' बताएँगे।<BR>
| + | |
− | लेकिन ये बताना<BR>
| + | |
− | क्या उनके बस का है,<BR>
| + | |
− | कि कौन-सा खून किसका है?<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | कौम की पहचान बताने वाला<BR>
| + | |
− | जाति की पहचान बताने वाला<BR>
| + | |
− | कोई माइक्रोस्कोप है? वे नहीं बता सकते<BR>
| + | |
− | लेकिन मुझे तो आप से होप है।<BR>
| + | |
− | बताइए, बताइए, और एक कवि का<BR>
| + | |
− | पारिश्रमिक ले जाइए।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | अब मैं इन परखनलियों कोv
| + | |
− | स्टोव पर रखता हूँ, उबाल आएगा,<BR>
| + | |
− | खून खौलेगा, बबाल आएगा।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | हाँ, भाईजान<BR>
| + | |
− | नीचे से गर्मी दो न तो खून खौलता है<BR>
| + | |
− | किसी का खून सूखता है, किसी का जलता है<BR>
| + | |
− | किसी का खून थम जाता है,<BR>
| + | |
− | किसी का खून जम जाता है।<BR>
| + | |
− | अगर ये टेस्ट-ट्यूब फ्रिज में रखूँ खून जम जाएगा,<BR>
| + | |
− | सींक डालकर निकालूँ तो आइस्क्रीम का मज़ा आएगा।<BR>
| + | |
− | आप खाएँगे ये आइस्क्रीम<BR>
| + | |
− | आप खाएँगे,<BR>
| + | |
− | आप खाएँगी बहन जी<BR>
| + | |
− | भाईसाहब आप खाएँगे?<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | मुझे मालूम है कि आप नहीं खा सकते<BR>
| + | |
− | क्योंकि इंसान हैं,<BR>
| + | |
− | लेकिन हमारे मुल्क में कुछ हैवान हैं।<BR>
| + | |
− | कुछ दरिंदे हैं,<BR>
| + | |
− | जिनके बस खून के ही धंधे हैं।<BR>
| + | |
− | मजहब के नाम पे, धर्म के नाम पे<BR>
| + | |
− | वो खाते हैं ये आइस्क्रीम मज़े से खाते हैं,<BR>
| + | |
− | भाईसाहब बड़े मज़े से खाते हैं,<BR>
| + | |
− | और अपनी हविस के लिए<BR>
| + | |
− | आदमी-से-आदमी को लड़ाते हैं।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता हैं,<BR>
| + | |
− | इन्हें मीठी लोरियों का सुर नहीं भाता है।<BR>
| + | |
− | माँग के सिंदूर से इन्हें कोई मतलब नहीं<BR>
| + | |
− | कलाई की चूड़ियों से इनका नहीं नाता है।<BR>
| + | |
− | इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता हैं।<BR>
| + | |
− | अरे गुरु सबका, गॉड सबका, खुदा सबका<BR>
| + | |
− | और सबका विधाता है,<BR>
| + | |
− | लेकिन इन्हें तो अलगाव ही सुहाता है,<BR>
| + | |
− | इन्हें मासूम बच्चों पर<BR>
| + | |
− | तरस नहीं आता है।<BR>
| + | |
− | मस्जिद के आगे टूटी हुई चप्पलें<BR>
| + | |
− | मंदिर के आगे बच्चों के बस्ते<BR>
| + | |
− | गली-गली में बम और गोले<BR>
| + | |
− | कोई इन्हें क्या बोले,<BR>
| + | |
− | इनके सामने शासन भी सिर झुकाता है,<BR>
| + | |
− | इन्हें मासूम बच्चों पर तरस नहीं आता है।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | हाँ तो भाईसाहब!<BR>
| + | |
− | कोई धोती पहनता है, कोई पायजामा<BR>
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− | किसी के पास पतलून है,<BR>
| + | |
− | लेकिन हर किसी के अंदर वही खून है।<BR>
| + | |
− | साड़ी में माँ जी, सलवार में बहन जी<BR>
| + | |
− | बुर्के में खातून हैं,<BR>
| + | |
− | सबके अंदर वही खून है,<BR>
| + | |
− | तो क्यों अलग विधेयक है?<BR>
| + | |
− | क्यों अलग कानून है?<BR><BR>
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− | | + | |
− | ख़ैर छोड़िए आप तो खून का फ़र्क बताइए,<BR>
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− | अंतर क्या है अपना तर्क बताइए।<BR>
| + | |
− | क्या पहला पीला, दूसरा हरा, तीसरा नीला है?<BR>
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− | जिससे पूछो यही कहता है<BR>
| + | |
− | कि सबके अंदर वही लाल रंग बहता है।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | और यही इस तमाशे की टेक हैं,<BR>
| + | |
− | कि रंगों में रहता हो या सड़कों पर बहता हो<BR>
| + | |
− | लहू का रंग एक है।<BR>
| + | |
− | फ़र्क सिर्फ़ इतना है<BR>
| + | |
− | कि अलग-अलग टैस्ट-ट्यूब में हैं,<BR>
| + | |
− | अंतर खून में नहीं है, मज़हबी मंसूबों में हैं।<BR><BR>
| + | |
− | | + | |
− | मज़हब जात, बिरादरी<BR>
| + | |
− | और खानदान भूल जाएँ<BR>
| + | |
− | खूनदान पहचानें कि किस खूनदान के हैं,<BR>
| + | |
− | इंसान के हैं कि हैवान के हैं?<BR>
| + | |
− | और इस तमाशे वाले की<BR>
| + | |
− | अंतिम इच्छा यही है कि<BR>
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− | खून सड़कों पर न बहे,<BR>
| + | |
− | वह तो धमनियों में दौड़े<BR>
| + | |
− | और रगों में रहे।<BR>
| + | |
− | खून सड़कों पर न बहे<BR>
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− | खून सड़कों पर न बहे<BR>
| + | |
− | खून सड़कों पर न बहे।<BR>
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