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"कसौटी / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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तिरस्कार कालिमा कलित हैं, | तिरस्कार कालिमा कलित हैं, | ||
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अविश्वास-सी पिच्छल हैं। | अविश्वास-सी पिच्छल हैं। | ||
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कौन कसौटी पर ठहरेगा? | कौन कसौटी पर ठहरेगा? | ||
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किसमें प्रचुर मनोबल है? | किसमें प्रचुर मनोबल है? | ||
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तपा चुके हो विरह वह्नि में, | तपा चुके हो विरह वह्नि में, | ||
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काम जँचाने का न इसे। | काम जँचाने का न इसे। | ||
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शुद्ध सुवर्ण हृदय है प्रियतम! | शुद्ध सुवर्ण हृदय है प्रियतम! | ||
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तुमको शंका केवल है॥ | तुमको शंका केवल है॥ | ||
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बिका हुआ है जीवन धन यह | बिका हुआ है जीवन धन यह | ||
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कब का तेरे हाथो मे। | कब का तेरे हाथो मे। | ||
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बिना मूल्य का , हैं अमूल्य यह | बिना मूल्य का , हैं अमूल्य यह | ||
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ले लो इसे, नही छल हैं। | ले लो इसे, नही छल हैं। | ||
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कृपा कटाक्ष अलम् हैं केवल, | कृपा कटाक्ष अलम् हैं केवल, | ||
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कोरदार या कोमल हो। | कोरदार या कोमल हो। | ||
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कट जावे तो सुख पावेगा, | कट जावे तो सुख पावेगा, | ||
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बार-बार यह विह्वल हैं॥ | बार-बार यह विह्वल हैं॥ | ||
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सौदा कर लो बात मान लो, | सौदा कर लो बात मान लो, | ||
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फिर पीछे पछता लेना। | फिर पीछे पछता लेना। | ||
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खरी वस्तु हैं, कहीं न इसमें | खरी वस्तु हैं, कहीं न इसमें | ||
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बाल बराबर भी बल हैं ॥ | बाल बराबर भी बल हैं ॥ | ||
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00:29, 20 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
तिरस्कार कालिमा कलित हैं,
अविश्वास-सी पिच्छल हैं।
कौन कसौटी पर ठहरेगा?
किसमें प्रचुर मनोबल है?
तपा चुके हो विरह वह्नि में,
काम जँचाने का न इसे।
शुद्ध सुवर्ण हृदय है प्रियतम!
तुमको शंका केवल है॥
बिका हुआ है जीवन धन यह
कब का तेरे हाथो मे।
बिना मूल्य का , हैं अमूल्य यह
ले लो इसे, नही छल हैं।
कृपा कटाक्ष अलम् हैं केवल,
कोरदार या कोमल हो।
कट जावे तो सुख पावेगा,
बार-बार यह विह्वल हैं॥
सौदा कर लो बात मान लो,
फिर पीछे पछता लेना।
खरी वस्तु हैं, कहीं न इसमें
बाल बराबर भी बल हैं ॥