भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हत्या / रविकान्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविकान्त }} {{KKCatKavita}} <poem> (मनोहर श्याम ज...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
(मनोहर श्याम जोशी के लिए)
+
आप आप आप
 +
आप सब
 +
जिन्हें मैं समझता हूँ कुछ
 +
सिर्फ इतना बताएँ कृपाकर
 +
मैं
 +
ऐसा क्या करूँ
 +
कि अपने को आत्महत्यारों की हत्या में
 +
शरीक न समझूँ
  
देह के रोमछिद्रों से भी अधिक द्वार हैं
+
कम से कम
जीवन के
+
आप सब को तो
 
+
बिल्कुल
अभी-अभी
+
ही नहीं
किसने यह कही बहुत पुरानी सी
+
हमजादों की लड़ाई में
+
कोई एक जीतता है
+
जरूर
+
 
+
हम कभी
+
अपने हमजाद के दोस्त नहीं होते
+
अपनी युवा इंद्रियों के साथ
+
खड़ा हूँ
+
जीवन के दरवाजों पर
+
 
+
कोई
+
मेरी सहजताओं का दुश्मन है
+
खींच लेता है मुझे
+
इसकी देहरियों के भीतर से बाहर
+
 
+
हजारवीं बार... लाखवीं बार...
+
देह के रोमछिद्रों से भी अधिक द्वार हैं
+
जीवन के, पर
+
अभी-अभी किसी ने बताया है -
+
हमजादों की लड़ाई में कोई एक जीतता है
+
जरूर
+
 
+
हम कभी अपने हमजाद के दोस्त नहीं होते
+
 
+
('हमजाद ' मनोहर श्याम जोशी जी का उपन्यास भी है जिसमें व्यक्ति के साथ ही उसके भीतर उत्पन्न होने वाले एक प्रतिगामी व्यक्ति को ' हमजाद ' कहा गया है उपन्यास में इसे जिन दो अलग - अलग चरित्रों के माध्यम से दिखाया गया है वे दोनों ही प्रतिगामी हैं और एक - दूसरे के पूरक हैं)
+

17:09, 28 जून 2013 के समय का अवतरण

आप आप आप
आप सब
जिन्हें मैं समझता हूँ कुछ
सिर्फ इतना बताएँ कृपाकर
मैं
ऐसा क्या करूँ
कि अपने को आत्महत्यारों की हत्या में
शरीक न समझूँ

कम से कम
आप सब को तो
बिल्कुल
ही नहीं