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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
ये अनाज की पूलें तेरे काँधे झूलें
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[माखनलाल चतुर्वेदी]]
+
रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
ये अनाज की पूलें तेरे काँधे झूलें
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
तेरा चौड़ा छाता
+
अपरिचित पास आओ
रे जन-गण के भ्राता
+
 
शिशिर, ग्रीष्म, वर्षा से लड़ते
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
भू-स्वामी, निर्माता !
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
कीच, धूल, गन्दगी बदन पर
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
लेकर ओ मेहनतकश!
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
गाता फिरे विश्व में भारत
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
तेरा ही नव-श्रम-यश !
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
तेरी एक मुस्कराहट पर
+
 
वीर पीढ़ियाँ फूलें ।
+
सबमें अपनेपन की माया
ये अनाज की पूलें
+
अपने पन में जीवन आया
तेरे काँधें झूलें !
+
</div>
इन भुजदंडों पर अर्पित
+
सौ-सौ युग, सौ-सौ हिमगिरी
+
सौ-सौ भागीरथी निछावर
+
तेरे कोटि-कोटि शिर !
+
ये उगी बिन उगी फ़सलें
+
तेरी प्राण कहानी
+
हर रोटी ने, रक्त बूँद ने
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तेरी छवि पहचानी !
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वायु तुम्हारी उज्ज्वल गाथा
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सूर्य तुम्हारा रथ है,
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बीहड़ काँटों भरा कीचमय
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एक तुम्हारा पथ है ।
+
यह शासन, यह कला, तपस्या
+
तुझे कभी मत भूलें ।
+
ये अनाज की पूलें
+
तेरे काँधे झूलें !
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</poem>
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया