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"उषा की लाली / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
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डर था, प्रतिपल | डर था, प्रतिपल | ||
अपरूप यह जादुई आभा | अपरूप यह जादुई आभा | ||
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भले हो उठे थे निखर | भले हो उठे थे निखर | ||
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21:53, 29 जून 2020 के समय का अवतरण
उषा की लाली में
अभी से गए निखर
हिमगिरि के कनक शिखर !
आगे बढ़ा शिशु रवि
बदली छवि, बदली छवि
देखता रह गया अपलक कवि
डर था, प्रतिपल
अपरूप यह जादुई आभा
जाए ना बिखर, जाए ना बिखर...
उषा की लाली में
भले हो उठे थे निखर
हिमगिरि के कनक शिखर !