Changes

उषा की लाली में
अभी से गए निखर
हिमगिरि के कनक शिखर !
आगे बढ़ा शिशु रवि
डर था, प्रतिपल
अपरूप यह जादुई आभा
जाए ना बिखर, जाए ना बिखर, ...
उषा की लाली में
भले हो उठे थे निखर
हिमगिरी हिमगिरि के कनक शिखर!
</poem>
355
edits