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"आवाज़ों के घेरे (कविता) / दुष्यन्त कुमार" के अवतरणों में अंतर

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मित्रों !  
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गाता हूँ  
दूकानों को देखती ललचाती हैं, <br>
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प्रश्न चिह्न बनकर अनायास आगे आ जाती हैं-<br>
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कवि कहलाने का क्या मतलब ?  
आवाज़ें !<br>
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जब मैं आवाज़ों के घेरे में  
आवाज़ें, आवाज़ें !!<br><br>
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पापों की छायाओं के बीच
 
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आत्मा पर बोझा-सा लादे हूँ;  
मित्रों !<br>
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मेरे व्यक्तित्व <br>
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और मुझ-जैसे अनगिन व्यक्तित्वों का क्या मतलब ?<br>
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मैं जो जीता हूँ<br>
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गाता हूँ<br>
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मेरे जीने, गाने<br>
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कवि कहलाने का क्या मतलब ?<br>
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जब मैं आवाज़ों के घेरे में<br>
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पापों की छायाओं के बीच <br>
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आत्मा पर बोझा-सा लादे हूँ;<br>
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20:27, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

आवाज़ें...
स्थूल रूप धरकर जो
गलियों, सड़कों में मँडलाती हैं,
क़ीमती कपड़ों के जिस्मों से टकराती हैं,
मोटरों के आगे बिछ जाती हैं,
दूकानों को देखती ललचाती हैं,
प्रश्न चिह्न बनकर अनायास आगे आ जाती हैं-
आवाज़ें !
आवाज़ें, आवाज़ें !!

मित्रों !
मेरे व्यक्तित्व
और मुझ-जैसे अनगिन व्यक्तित्वों का क्या मतलब ?
मैं जो जीता हूँ
गाता हूँ
मेरे जीने, गाने
कवि कहलाने का क्या मतलब ?
जब मैं आवाज़ों के घेरे में
पापों की छायाओं के बीच
आत्मा पर बोझा-सा लादे हूँ;