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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम</div>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
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रचनाकार: [[शलभ श्रीराम सिंह]]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
+
अपरिचित पास आओ
घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए
+
 
जवाब दर-सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
जहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें हों शान से
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
वहाँ न चुप रहेंगे हम,कहेंगे हाँ कहेंगे हम
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
हमारा हक हमारा हक हमें जनाब चाहिए
+
 
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
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सबमें अपनेपन की माया
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया