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हीर अक्खाँ जोगिया झूठ बोले
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कौण विछड़े यार मिलावदाँ ई
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ऐसा कोई ना मिलया वें मैं ढूँढ थकी
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जेड़ा गया नूँ मोड़ लेयावँदा ई
  
हीर अक्खाँ जोगिया झूठ बोले<br>
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मेल रूहाँ दे अज़ल दे रोज़ होए
कौं विछड़े यार मिलावदाँई<br>
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ते सच्चे इश्क दी न्यूँ तामीर होई
ऐसा कोई ना मिलया वें मैं ढूँढ थकी<br>
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फुल्ल खिल गये पाक मोहब्बताँ दे
जेड़ा गया नूँ मोड़ लेयावँदाई<br><br>
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कोई राँझा होया, कोई हीर होई
 
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साडे चम दियाँ जुतियाँ करे सोई<br>
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जेड़ा ज्यू दा रोग गवावदाँई<br>
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जेड़ा ज्यू दा रोग गवावदाँई
भला दस खाँ चिड़ि व छुन्याँ नूँ<br>
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भला दस खाँ चिड़ि व छुन्याँ नूँ
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कदों रब सच्चा घरीं ले आवदाँई
  
इक बाज़ तों कंग नू कूंज खोई<br>
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इक बाज़ तों कंग नू कूंज खोई
वेखाँ चुप है के कुरलावदाँई<br>
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वेखाँ चुप है के कुरलावदाँई
दुखाँ वालेयाँ नू गल्लाँ सुखदियाँ ते<br>
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दुखाँ वालेयाँ नू गल्लाँ सुखदियाँ ते
किस्से जोड़ जहान सुनावदाँई<br><br>
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इक जट दे खेत नूँ अग्ग लगी<br>
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इक जट दे खेत नूँ अग्ग लगी
वेखाँ आण के कदों बुझावदाँई<br>
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वेखाँ आण के कदों बुझावदाँई
देवाँ चूरियाँ घ्यों दे बाल दिवे<br>
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देवाँ चूरियाँ घ्यों दे बाल दिवे
वारस शाह जे सुणा मैं गाँवदाँई<br><br>
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वारस शाह जे सुणा मैं गाँवदाँई
  
मेरा जूजा मा जेड़ा आण मिले<br>
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मेरा जूजा मा जेड़ा आण मिले
सिर सदका ओस दे नाणदाँई<br>
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भला मोए ते विछड़े कौन मिले<br>
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भला मोए ते विछड़े कौन मिले
ऐंवे जीवड़ा लोग बुलावदाँई<br><br>
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ऐंवे जीवड़ा लोग बुलावदाँई
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17:29, 27 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: वारिस शाह

हीर अक्खाँ जोगिया झूठ बोले
कौण विछड़े यार मिलावदाँ ई
ऐसा कोई ना मिलया वें मैं ढूँढ थकी
जेड़ा गया नूँ मोड़ लेयावँदा ई

मेल रूहाँ दे अज़ल दे रोज़ होए
ते सच्चे इश्क दी न्यूँ तामीर होई
फुल्ल खिल गये पाक मोहब्बताँ दे
कोई राँझा होया, कोई हीर होई

साडे चम दियाँ जुतियाँ करे सोई
जेड़ा ज्यू दा रोग गवावदाँई
भला दस खाँ चिड़ि व छुन्याँ नूँ
कदों रब सच्चा घरीं ले आवदाँई

इक बाज़ तों कंग नू कूंज खोई
वेखाँ चुप है के कुरलावदाँई
दुखाँ वालेयाँ नू गल्लाँ सुखदियाँ ते
किस्से जोड़ जहान सुनावदाँई

इक जट दे खेत नूँ अग्ग लगी
वेखाँ आण के कदों बुझावदाँई
देवाँ चूरियाँ घ्यों दे बाल दिवे
वारस शाह जे सुणा मैं गाँवदाँई

मेरा जूजा मा जेड़ा आण मिले
सिर सदका ओस दे नाणदाँई
भला मोए ते विछड़े कौन मिले
ऐंवे जीवड़ा लोग बुलावदाँई