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18:20, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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बाजरा कहे मैं बड़ा अलबेला
दो मूसल से लड़ूँ अकेला
जो तेरी नाजो खीचड़ा खाय
फूल-फाल कोठी हो जाए ।
भावार्थ
--'बाजरा कहता है, मैं बड़ा अलबेला हूँ । दो मूसलियों से अकेला ही लड़ लेता हूँ । यदि तेरी कोमलांगी पत्नी मेरी
खिचड़ी खाएगी तो वह भी फूल-फूल कर कोठरी सरीखी दिखाई देने लगेगी ।