"माँगी-चाँगी अनले महादेव / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर
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अरी हो, तेही पर चढ़ी गउरा, मने-मन झउखेले।।५।। | अरी हो, तेही पर चढ़ी गउरा, मने-मन झउखेले।।५।। | ||
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+ | अरी हो, ताही चढ़ि अइले हो महादेव, मने-मने झउखेला हे।। | ||
+ | सोने के बनत हो सिंहासन, रूपवे भरावन हे | ||
+ | अरी, ताही हो चढ़ि अइले महादेव, मने-मने झउखेला हे। | ||
+ | अदहन दिहली हाँ चढ़ाई, गउरा पइंचा माँगिले हे, | ||
+ | अरी हो, माँगी-बानी अनले महादेव, सूपा भरी धान हे। | ||
+ | माँगी-चानी अनले महादेव सूपा भरी धान हे, | ||
+ | अरी हो, दुअरे हे देहली पसारी, बसहाँ बैला खा गइले हे। | ||
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10:07, 21 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
माँगी-चाँगी अनले महादेव सूपा भरी धान हे।
अरी हो, बाघ-छाला देहले पसारी, बछहां बएला खा गइले।।१।।
अरे हो, अदहन दीहले चढ़ाई,
अरी हो, अइसन नगरिया केलोग पइंच न दिहलै।।२।।
अरे हो, अइहन दिहलें हो उतारी, गउरा मने-मने झउखेले।
अरी हो, सांझ बेरी अइहें महादेव, केथी लेके जेंवाइब।।३।।
केथी चढ़ बइठल गउरा मने-मन झउखेले।।४।।
अरे सोनवा के बनल सिंहासन, रुपवे मढ़ावल
अरी हो, तेही पर चढ़ी गउरा, मने-मन झउखेले।।५।।
(लछमिनी देवी द्वारा गाया हुआ रूप)
केथी कर बनत हो सिंहासन, केथिए हो भरावन हे
अरी हो, ताही चढ़ि अइले हो महादेव, मने-मने झउखेला हे।।
सोने के बनत हो सिंहासन, रूपवे भरावन हे
अरी, ताही हो चढ़ि अइले महादेव, मने-मने झउखेला हे।
अदहन दिहली हाँ चढ़ाई, गउरा पइंचा माँगिले हे,
अरी हो, माँगी-बानी अनले महादेव, सूपा भरी धान हे।
माँगी-चानी अनले महादेव सूपा भरी धान हे,
अरी हो, दुअरे हे देहली पसारी, बसहाँ बैला खा गइले हे।