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"नीत्‍शे का ईश्‍वर / उत्‍तमराव क्षीरसागर" के अवतरणों में अंतर

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<poem>नीत्‍शे !
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नीत्‍शे!
 
तुम्‍हारा ईश्‍वर मरा नहीं होगा
 
तुम्‍हारा ईश्‍वर मरा नहीं होगा
 
           नहीं मरा होगा
 
           नहीं मरा होगा
 
हालाँकि  
 
हालाँकि  
तुम्‍हारी घोषणा सही थी ।
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तुम्‍हारी घोषणा सही थी।
  
 
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तुम्‍हारा ईश्‍वर बना होगा अनास्‍था से।
तुम्‍हारा ईश्‍वर बना होगा अनास्‍था से ।
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वि‍जेता कहने भर के लि‍ए  
 
वि‍जेता कहने भर के लि‍ए  
 
या, कि‍सी अज्ञात भय से  
 
या, कि‍सी अज्ञात भय से  
 
सुमर लेता है, लेकि‍न  
 
सुमर लेता है, लेकि‍न  
 
परास्‍त लोगो का ईश्‍वर  
 
परास्‍त लोगो का ईश्‍वर  
बडा शक्‍ति‍शाली होता है ।
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बडा शक्‍ति‍शाली होता है।
 
पराजि‍तों की आशा  
 
पराजि‍तों की आशा  
 
- वि‍श्‍वास  
 
- वि‍श्‍वास  
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'गहरे ताल-सी गहराई'  
 
'गहरे ताल-सी गहराई'  
  
 
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नीत्‍शे!  
नीत्‍शे !  
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तुमने अपनी बात सतर्क-सटीक की होगी  
 
तुमने अपनी बात सतर्क-सटीक की होगी  
 
तर्क और टीका  
 
तर्क और टीका  
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क्षि‍ति‍ज के वि‍स्‍तार-सी  
 
क्षि‍ति‍ज के वि‍स्‍तार-सी  
 
वि‍स्‍तीर्ण  
 
वि‍स्‍तीर्ण  
                          - 2000 ई0</poem>
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19:16, 5 मार्च 2014 के समय का अवतरण

नीत्‍शे!
तुम्‍हारा ईश्‍वर मरा नहीं होगा
          नहीं मरा होगा
हालाँकि
तुम्‍हारी घोषणा सही थी।

तुम्‍हारा ईश्‍वर बना होगा अनास्‍था से।
 
वि‍जेता कहने भर के लि‍ए
या, कि‍सी अज्ञात भय से
सुमर लेता है, लेकि‍न
परास्‍त लोगो का ईश्‍वर
बडा शक्‍ति‍शाली होता है।
पराजि‍तों की आशा
- वि‍श्‍वास
आसक्‍ति‍ और, या आस्‍था
सशक्‍त होती है
'गहरे ताल-सी गहराई'

नीत्‍शे!
तुमने अपनी बात सतर्क-सटीक की होगी
तर्क और टीका
अवांतर फैली
क्षि‍ति‍ज के वि‍स्‍तार-सी
वि‍स्‍तीर्ण