"जिऔ बहादुर खद्दरधारी / रफ़ीक शादानी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | मनमानी हड़ताल करत हौ, देसवा का कंगाल करत हौ | |
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− | + | धूमिल भै गाँधी कै खादी, पहिरै लागै अवसरवादी | |
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− | + | तन कै गोरा, मन कै गन्दा, मस्जिद मंदिर नाम पै चंदा | |
− | तोहरा | + | सबसे बढ़ियाँ तोहरा धंधा, न तौ नमाज़ी, न तौ पुजारी |
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− | + | सूखा या सैलाब जौ आवै, तोहरा बेटवा ख़ुसी मनावै | |
− | + | घरवाली आँगन मा गावै, मंगल भवन अमंगल हारी। | |
− | + | जियौ बहादुर खद्दर धारी! | |
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− | बरखा मा विद्यालय | + | झंडै झंडा रंग-बिरंगा, नगर-नगर मा कर्फ़्यू दंगा |
− | वही के नीचे टीचर | + | खुसहाली मा पड़ा अड़ंगा, हम भूखा तू खाव सोहारी |
− | नहर के खुलतै दुई पुल | + | जियौ बहादुर खद्दर धारी! |
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− | + | बरखा मा विद्यालय ढहिगा, वही के नीचे टीचर रहिगा | |
+ | नहर के खुलतै दुई पुल बहिगा, तोहरेन पूत कै ठेकेदारी। | ||
+ | जियौ बहादुर खद्दर धारी! | ||
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10:00, 24 मार्च 2014 के समय का अवतरण
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
ई मँहगाई ई बेकारी, नफ़रत कै फ़ैली बीमारी
दुखी रहै जनता बेचारी, बिकी जात बा लोटा-थारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
मनमानी हड़ताल करत हौ, देसवा का कंगाल करत हौ
खुद का मालामाल करत हौ, तोहरेन दम से चोर बज़ारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
धूमिल भै गाँधी कै खादी, पहिरै लागै अवसरवादी
या तो पहिरैं बड़े प्रचारी, देश का लूटौ बारी-बारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
तन कै गोरा, मन कै गन्दा, मस्जिद मंदिर नाम पै चंदा
सबसे बढ़ियाँ तोहरा धंधा, न तौ नमाज़ी, न तौ पुजारी
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
सूखा या सैलाब जौ आवै, तोहरा बेटवा ख़ुसी मनावै
घरवाली आँगन मा गावै, मंगल भवन अमंगल हारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
झंडै झंडा रंग-बिरंगा, नगर-नगर मा कर्फ़्यू दंगा
खुसहाली मा पड़ा अड़ंगा, हम भूखा तू खाव सोहारी
जियौ बहादुर खद्दर धारी!
बरखा मा विद्यालय ढहिगा, वही के नीचे टीचर रहिगा
नहर के खुलतै दुई पुल बहिगा, तोहरेन पूत कै ठेकेदारी।
जियौ बहादुर खद्दर धारी!