भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 19 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
<div style="background:#eee; padding:10px">
 
<div style="background:#eee; padding:10px">
<div style="background: #fff; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:3px inset #aaa; padding:10px">
+
<div style="background: transparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
  
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
 
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
मजदूर का जन्म</div>
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
 
<div style="text-align: center;">
 
<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[केदारनाथ अग्रवाल]]
+
रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
</div>
 
</div>
  
<poem>
+
<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
हाथी सा बलवान,
+
अपरिचित पास आओ
जहाजी हाथों वाला और हुआ !
+
 
सूरज-सा इन्सान,
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
माता रही विचार,
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
दादा रहे निहार,  
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
सबेरा करनेवाला और हुआ !!
+
 
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
सबमें अपनेपन की माया
जनता रही पुकार
+
अपने पन में जीवन आया
सलामत लानेवाला और हुआ !
+
</div>
सुन ले री सरकार!
+
कयामत ढानेवाला और हुआ !!
+
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
+
</poem>
+
 
</div></div>
 
</div></div>

19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया