भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आरती सिया रघुवर की / आरती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} जयति जयति वन्दन हर की<BR> गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥<BR><BR> ...) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {{ | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKDharmikRachna}} | |
− | }} | + | {{KKCatArti}} |
+ | <poem> | ||
+ | जयति जयति वन्दन हर की | ||
+ | गाओ मिल आरती सिया रघुवर की॥ | ||
− | + | भक्ति योग रस अवतार अभिराम | |
− | गाओ मिल आरती सिया रघुवर | + | करें निगमागम समन्वय ललाम। |
+ | सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम | ||
+ | बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम। | ||
+ | हो रही सफल काया नारी नर की | ||
+ | गाओ मिल आरती सिया रघुवर की॥ | ||
− | + | गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश | |
− | + | जाके उर बसे ताके मोह तम नाश। | |
− | + | जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास | |
− | + | ताके होए माया मोह सब ही विनाश॥ | |
− | + | पावे रति गति मति सिया वर की | |
− | + | गाओ मिल आरती सिया रघुवर की॥ | |
− | + | </poem> | |
− | गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश | + | |
− | जाके उर बसे ताके मोह तम | + | |
− | जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास | + | |
− | ताके होए माया मोह सब ही | + | |
− | पावे रति गति मति सिया वर की | + | |
− | गाओ मिल आरती सिया रघुवर | + |
11:34, 30 मई 2014 के समय का अवतरण
जयति जयति वन्दन हर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की॥
भक्ति योग रस अवतार अभिराम
करें निगमागम समन्वय ललाम।
सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम
बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम।
हो रही सफल काया नारी नर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की॥
गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश।
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास
ताके होए माया मोह सब ही विनाश॥
पावे रति गति मति सिया वर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की॥