Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कबीर |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} <poem> रे दिल गाफ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | [[Category:भजन]] | |
<poem> | <poem> | ||
रे दिल गाफिल गफलत मत कर | रे दिल गाफिल गफलत मत कर | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
सौदा करने या जग आया | सौदा करने या जग आया | ||
− | पूजी लाया मूल | + | पूजी लाया मूल गँवाया |
प्रेमनगर का अन्त न पाया | प्रेमनगर का अन्त न पाया | ||
ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥ | ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥ | ||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
या जीवन में क्या क्या कीता | या जीवन में क्या क्या कीता | ||
सिर पाहन का बोझा लीता | सिर पाहन का बोझा लीता | ||
− | आगे कौन | + | आगे कौन छुड़ावेगा॥ २॥ |
परलि पार तेरा मीता खडिया | परलि पार तेरा मीता खडिया | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
अन्त समय तेरा कौन सहाई | अन्त समय तेरा कौन सहाई | ||
चला अकेला संग न को | चला अकेला संग न को | ||
− | + | किया अपना पावेगा॥ ४॥ | |
</poem> | </poem> |
21:27, 20 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
रे दिल गाफिल गफलत मत कर
एक दिना जम आवेगा॥ टेक॥
सौदा करने या जग आया
पूजी लाया मूल गँवाया
प्रेमनगर का अन्त न पाया
ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता
या जीवन में क्या क्या कीता
सिर पाहन का बोझा लीता
आगे कौन छुड़ावेगा॥ २॥
परलि पार तेरा मीता खडिया
उस मिलने का ध्यान न धरिया
टूटी नाव उपर जा बैठा
गाफिल गोता खावेगा॥ ३॥
दास कबीर कहै समुझाई
अन्त समय तेरा कौन सहाई
चला अकेला संग न को
किया अपना पावेगा॥ ४॥