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18:27, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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देखी रजऊ काउनें नइयाँ, कौन बरन तन मुइयाँ
काँ तौं उनकी रहस रास है, काँ दये जनम गुसइयाँ
पैलऊँ भेंट हमईं सें न भई सही कृपा हम पैयाँ
ईसुर हमने रजऊ की फागें, कर दई मुलकन मैंया ।