"बटोहिया / रघुवीर नारायण" के अवतरणों में अंतर
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तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया | तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया | ||
− | + | जाऊ-जाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ | |
− | जहवां | + | जहवां कुहुकी कोइली गावे रे बटोहिया |
पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से | पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से | ||
कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया | कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया | ||
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बिपिन अगम घन सघन बगन बीच | बिपिन अगम घन सघन बगन बीच | ||
चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया | चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया | ||
− | द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम | + | द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वृछ |
केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया | केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से | गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से | ||
− | सरजू | + | सरजू झमकि लहरावे रे बटोहिया |
ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन | ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन | ||
सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया | सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया | ||
− | उपर अनेक नदी | + | उपर अनेक नदी उमड़ि घुमड़ि नाचे |
जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया | जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया | ||
− | आगरा प्रयाग | + | आगरा प्रयाग कासी दिल्ली कलकतवा से |
मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया | मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया | ||
जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ | जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ | ||
− | जहां | + | जहां ऋसि चारो बेद गावे रे बटोहिया |
सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस | सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस | ||
मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया | मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया | ||
− | ब्यास बालमीक | + | ब्यास बालमीक ऋसि गौतम कपिलदेव |
सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया | सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया | ||
रामानुज-रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकला | रामानुज-रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकला | ||
पंक्ति 53: | पंक्ति 53: | ||
जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ | जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ | ||
जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया | जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया | ||
− | बुद्धदेव | + | बुद्धदेव पृथु बिक्रsमार्जुनs सिवाजीss के |
फिरि-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया | फिरि-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया | ||
पंक्ति 59: | पंक्ति 59: | ||
मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया | मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया | ||
सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही | सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही | ||
− | जन 'रघुबीर | + | जन 'रघुबीर' सिर नावे रे बटोहिया। |
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'बटोहिया' एक ऐसी रचना जो बिहार के प्रथम भोजपुरी राष्ट्रगीत का दर्जा पा चुकी कविता है.१९७० तक बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक समिति द्वारा कक्षा १० और ११ की प्रकाशित हिंदी काव्य संग्रह के आवरण पृष्ठ पर 'बटोहिया' का मुद्रण अनवरत किया जाता था.गीत की कीर्ति सरहद पार मारीशस, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना तक थी. दुर्भाग्यवश बढ़ती उम्र के साथ बटोहिया की वह लोकप्रियता छिन गई. | 'बटोहिया' एक ऐसी रचना जो बिहार के प्रथम भोजपुरी राष्ट्रगीत का दर्जा पा चुकी कविता है.१९७० तक बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक समिति द्वारा कक्षा १० और ११ की प्रकाशित हिंदी काव्य संग्रह के आवरण पृष्ठ पर 'बटोहिया' का मुद्रण अनवरत किया जाता था.गीत की कीर्ति सरहद पार मारीशस, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना तक थी. दुर्भाग्यवश बढ़ती उम्र के साथ बटोहिया की वह लोकप्रियता छिन गई. |
17:51, 1 मई 2019 के समय का अवतरण
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहिया
एक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा से
तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया
जाऊ-जाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ
जहवां कुहुकी कोइली गावे रे बटोहिया
पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से
कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया
बिपिन अगम घन सघन बगन बीच
चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया
द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वृछ
केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया
तोता तुती बोले रामा बोले भेंगरजवा से
पपिहा के पी-पी जिया साले रे बटोहिया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया
गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से
सरजू झमकि लहरावे रे बटोहिया
ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन
सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया
उपर अनेक नदी उमड़ि घुमड़ि नाचे
जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया
आगरा प्रयाग कासी दिल्ली कलकतवा से
मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया
जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ
जहां ऋसि चारो बेद गावे रे बटोहिया
सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस
मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया
ब्यास बालमीक ऋसि गौतम कपिलदेव
सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया
रामानुज-रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकला
ब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया
नानक कबीर गौर संकर श्रीरामकॄष्ण
अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया
बिद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवि
तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया
जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ
जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया
बुद्धदेव पृथु बिक्रsमार्जुनs सिवाजीss के
फिरि-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया
अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेस
मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही
जन 'रघुबीर' सिर नावे रे बटोहिया।
'बटोहिया' एक ऐसी रचना जो बिहार के प्रथम भोजपुरी राष्ट्रगीत का दर्जा पा चुकी कविता है.१९७० तक बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक समिति द्वारा कक्षा १० और ११ की प्रकाशित हिंदी काव्य संग्रह के आवरण पृष्ठ पर 'बटोहिया' का मुद्रण अनवरत किया जाता था.गीत की कीर्ति सरहद पार मारीशस, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना तक थी. दुर्भाग्यवश बढ़ती उम्र के साथ बटोहिया की वह लोकप्रियता छिन गई.