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"कुफ्री के घोड़े / स्वप्निल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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'''कुफ्री शिमला के पास एक हिल-स्टेशन है जहाँ सैलानी घोड़ों के जरिए पिकनिक-स्पाट तक पहुँचते है ।'''
 
'''कुफ्री शिमला के पास एक हिल-स्टेशन है जहाँ सैलानी घोड़ों के जरिए पिकनिक-स्पाट तक पहुँचते है ।'''
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कुफ्री में  बहुत से घोड़े है
 
कुफ्री में  बहुत से घोड़े है
 
इन घोड़ों ने बहुत लोगो को रोज़गार दे रक्खा है
 
इन घोड़ों ने बहुत लोगो को रोज़गार दे रक्खा है
 
इनके दम से घरों में जलते हैं चूल्हे
 
इनके दम से घरों में जलते हैं चूल्हे
 
रोटी का होता है बेहतर स्वाद
 
रोटी का होता है बेहतर स्वाद
  ये घोड़े नही परिवार के वरिष्ठ नागरिक हैं
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ये घोड़े नही परिवार के वरिष्ठ नागरिक हैं
  वे अपनी पीठ पर सैलानियों को लाद कर
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वे अपनी पीठ पर सैलानियों को लाद कर
  पिकनिक स्पाट तक पहुँचाते हैं ।
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पिकनिक स्पाट तक पहुँचाते हैं ।
  
  हमें दिखाते हैं पहाड़
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हमें दिखाते हैं पहाड़
  हमें प्रकृति के समीप ले जाते है
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हमें प्रकृति के समीप ले जाते है
 
जिन कठिन रास्तों पर चल नही सकती गाड़ियाँ
 
जिन कठिन रास्तों पर चल नही सकती गाड़ियाँ
 
घोड़े उन रास्तो पर आसानी से चलते है ।
 
घोड़े उन रास्तो पर आसानी से चलते है ।
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जिस दूरी को तय करने में तीन दिन का समय लगता है
 
जिस दूरी को तय करने में तीन दिन का समय लगता है
 
घोड़े उस दूरी को एक दिन में  तय कर  लेते है ।
 
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  घोड़े के बगैर हम युद्ध की कल्पना नही कर सकते
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घोड़े के बगैर हम युद्ध की कल्पना नही कर सकते
 
महाराणा प्रताप और लक्ष्मीबाई की विजय  
 
महाराणा प्रताप और लक्ष्मीबाई की विजय  
 
इन घोड़ों ने दर्ज कराई है ।
 
इन घोड़ों ने दर्ज कराई है ।
  
 
कुफ्री के घोड़े इन्ही घोड़ों के वंशज हैं
 
कुफ्री के घोड़े इन्ही घोड़ों के वंशज हैं
    ये राजमार्ग पर लद्धड़ दौड़नेवाले घोड़े नही हैं
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ये राजमार्ग पर लद्धड़ दौड़नेवाले घोड़े नही हैं
    न ये पूंजी अथवा किसी छल से पैदा हुए हैं ।
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न ये पूंजी अथवा किसी छल से पैदा हुए हैं ।
 
ये घोड़े पहाड़ की कोख से पैदा हुए है
 
ये घोड़े पहाड़ की कोख से पैदा हुए है
 
इनके श्रम में पसीने की महक है ।
 
इनके श्रम में पसीने की महक है ।
  ये घोड़े दुर्गम से दुर्गम रास्तो को अपनी
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ये घोड़े दुर्गम से दुर्गम रास्तो को अपनी
  हिक़मत से पार करते हैं
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हिक़मत से पार करते हैं
  ये अनथक चलते है
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ये अनथक चलते है
  अपने पैरों से बनाते हैं रास्ते
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अपने पैरों से बनाते हैं रास्ते
  इनके बनाए रास्ते रात में चमकते हैं
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इनके बनाए रास्ते रात में चमकते हैं
      जीन और रकाब के बीच फँसे हुए आदमी को
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जीन और रकाब के बीच फँसे हुए आदमी को
      ये घोड़े देते हैं ज़िन्दगी का पता ।
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ये घोड़े देते हैं ज़िन्दगी का पता ।
 
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16:51, 6 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

कुफ्री शिमला के पास एक हिल-स्टेशन है जहाँ सैलानी घोड़ों के जरिए पिकनिक-स्पाट तक पहुँचते है ।

कुफ्री में बहुत से घोड़े है
इन घोड़ों ने बहुत लोगो को रोज़गार दे रक्खा है
इनके दम से घरों में जलते हैं चूल्हे
रोटी का होता है बेहतर स्वाद
ये घोड़े नही परिवार के वरिष्ठ नागरिक हैं
वे अपनी पीठ पर सैलानियों को लाद कर
पिकनिक स्पाट तक पहुँचाते हैं ।

हमें दिखाते हैं पहाड़
हमें प्रकृति के समीप ले जाते है
जिन कठिन रास्तों पर चल नही सकती गाड़ियाँ
घोड़े उन रास्तो पर आसानी से चलते है ।
 ००
घोड़े मामूली चीज़ नही इतिहास को बदलने वाले लोग है
जिस दूरी को तय करने में तीन दिन का समय लगता है
घोड़े उस दूरी को एक दिन में तय कर लेते है ।
घोड़े के बगैर हम युद्ध की कल्पना नही कर सकते
महाराणा प्रताप और लक्ष्मीबाई की विजय
इन घोड़ों ने दर्ज कराई है ।

कुफ्री के घोड़े इन्ही घोड़ों के वंशज हैं
ये राजमार्ग पर लद्धड़ दौड़नेवाले घोड़े नही हैं
न ये पूंजी अथवा किसी छल से पैदा हुए हैं ।
ये घोड़े पहाड़ की कोख से पैदा हुए है
इनके श्रम में पसीने की महक है ।
ये घोड़े दुर्गम से दुर्गम रास्तो को अपनी
हिक़मत से पार करते हैं
ये अनथक चलते है
अपने पैरों से बनाते हैं रास्ते
इनके बनाए रास्ते रात में चमकते हैं
जीन और रकाब के बीच फँसे हुए आदमी को
ये घोड़े देते हैं ज़िन्दगी का पता ।