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"अब देखा है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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09:00, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण


मैंने जब देखा था--

सावन था,
बादल थे,

इससे कम देखा था !

अब तो वह फागुन है,

फूलों में देखा है,

रंगों से गंधों से

बांधे तन देखा है :

इससे अब देखा है !