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ये अनजान नदी की नावें</div>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
 
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<div style="text-align: center;">
रचनाकार: [[धर्मवीर भारती]]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
ये अनजान नदी की नावें
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
जादू के-से पाल
+
अपरिचित पास आओ
उड़ाती
+
आती
+
मंथर चाल।
+
  
नीलम पर किरनों
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
की साँझी
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
एक न डोरी
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
एक न माँझी ,
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
फिर भी लाद निरन्तर लाती
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
सेंदुर और प्रवाल!
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
कुछ समीप की
+
सबमें अपनेपन की माया
कुछ सुदूर की,
+
अपने पन में जीवन आया
कुछ चन्दन की
+
कुछ कपूर की,
+
कुछ में गेरू, कुछ में रेशम
+
कुछ में केवल जाल।
+
 
+
ये अनजान नदी की नावें
+
जादू के-से पाल
+
उड़ाती
+
आती
+
मंथर चाल ।
+
 
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया